Rawat-Doha

1

जिस माँ ने तुझे जन्म दिया, पिता ने दिया दुलार,

तिरस्कार उनका करे, तुझ को है धिक्कार

2

भाई भाई के स्नेह को, नज़र लगी है आज

दुश्मन वो कट्टर हुए , कैसा हुआ समाज

3

विद्यालय के गुरुओं का, कैसा ये  सम्मान

अपने प्रथम गुरु का, जब रोज करे अपमान

4

अपनी माँ मैया भई, सास बन गयी भार

ऐसी नारी पर नहीं, कृपा करत सरकार (ईश्वर)

5

गर्व करे किस बात का, किस का करे घमंड

मिटटी मैं घुल जायेगा,  या बहे हवा के संग

6

मित्र कबहुँ न बनाइये, बिना जांच पड़ताल

कहीं मित्र कान्हा मिलें, कही ध्रतराष्ट्र के लाल

7

जीवन भर एकत्र किया, गठरी लई संभाल

सगरी गठरी लुट गयी ज्यूँ ही आया काल

8

दुश्मन से बढ़ी मधुरता और परिवार से बैर

कलयुग ये घनघोर है, मालिक  करियो खैर

9

झूठा सत्ता सुख चखे,  सच्चा धक्के खाय

काल चक्र यह समय का, कलयुग जो कहलाय

10

धैर्य पहाड़ी देखकर, दुनिया हुई निहाल

ना कहीं कोई बंद है, न कोई हड़ताल

11

दिल , दिमाग़ दोनों का, पृथक है कारोबार 

एक भरा है प्रेम से, एक करे व्यापार 

12 

समय बड़ा बलवान है, ठोकर इसे न मार

आज तो हर्षित हो रहा, कल होगा बेकार

13 

आज अग़र तू श्रम करे, सुधरे तेरा कल 

बीज अग़र बोया नहीं, कहाँ मिलेंगे फल

14 

सलाह बड़ो की मानकर, जो भी करता काम

निश्चित फिर ये जानिये, उसके दाता राम

15 

मात पिता की संपत्ति, सूत  सुता अधिकार

पालन वृद्धावस्था मै, क्यों कर भिन्न विचार

16 

प्रत्येक पुरुष की राह मै, स्त्रियां तीन प्रधान

माता प्रथम, पत्नी द्वितीय, तीजा बेटी का स्थान

17 

सास-स्वसुर, माता-पिता, दोनों एक समान

निस्वार्थ भाव सेवा करे, वही सच्चा इंसान

18 

पुत्री पुत्र को देखते, एक आँख से जोई,

वृद्धावस्था मै उन्हें, दुःख काहे को होइ

19 

बहु सुता को समझती, दोनों एक समान

ऐसी स्त्री का बने जीवन स्वर्ग समान

20 

नर के जीवन मै अग़र, माता द्वितीय पत्नी प्रथम

पाप कमाए वो पुरुष, और कहलाये अधम

21

भोजन और भावना का, रिश्ता रखो याद,

शुद्ध भावना से बना, भोजन है प्रसाद.

22

सूर्य से पहले छोडो निद्रा, तारो से पहले भोजन,

बात पते की कहते ज्ञानी, स्वस्थ रहेगा तन मन,

23

एक अंश स्व आय का, अवश्य कीजिये दान,

बहुत ही पावन कृत्या यह, बढ़ जाता सम्मान.

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