Rawat-Uwach
महामारी काल के हालात इन हवाओं मैं हरारत, क्यों है जिस्म की साँस से बग़ावत, क्यों है एक हाशिये पे ला के हमें छोड़ दिया, इन लम्हों की शरारत क्यों है, सुबह उठ के घूम आते थे अब बागों से अदावत क्यों है जिंदगी तो यूँ भी गुजर ही जाती, इस मेहरबान की जरुरत, क्यों है Page – 2 रात, रास्ते और चौराहा कल रात मैं एक रात से मिला… Read More »Rawat-Uwach